बिंदी


हम दोनों एयरपोर्ट पर बैठे हैं। वो न्यूयार्क जा रही थी और मैं कैलिफोर्निया।

जा दोनों ही अमेरिका रहे थे। उसने पूछा क्यों लगाती हो बिंदी? मैंने हंस कर कुछ यह कह कर टाला --

मेरी यह बिंदी, पहचान बन बन गई है मेरी। शायद मुझे सूट भी करती है। शायद आप लोगों को मुझे अब ऐसे ही देखने की आदत हो गई है या शायद हमारी संस्कृति के किसी एक छोटे से कोने का प्रतिनिधित्व करती है या फिर मेरी भौंहों के बीच आई सिलवटें ढांपती है या फिर इसी बिंदी से बने निशान को अब इसी से ढांपने जैसी मजबूरी।

वो मेरे पास बैठी थी चकित सी मुझे घूरती हुई

यह जान कर उसकी नजरें थोड़ी बदल गई मगर वो और चकित हो गई।

मुझे उसने कई बार ऊपर से नीचे देखा।

आँखों में मूक प्रश्न-

मैं समझ गई वो शोच रही है मैं अगर विदेश में रहती हूँ

तो क्यों में पेंट या स्कर्ट में नहीं हूँ?

क्यों में उसकी तरह बाल कटी नहीं हूँ?

प्रवासी हूँ फिर उसकी जैसी क्यों नहीं हूँ?

फिर मैंने भी आँखों की भाषा से ही उससे पूछा-

क्या यह जरूरी है की प्रवासियों को यही गाना याद रहे “शीला, शीला की जवानी या मुन्नी बदनाम हुई या झंडू बाम होना जरूरी है?”

उसके आँखों में गुस्सा या नाराज़गी

उफ्फ़ मेरी ये बड़ी बिंदी

एक बारगी तो मुझे लगा की पानीपत का युद्ध ने इतिहास न रच दे।

कल सुबह एक ब्रेकिंग न्यूज- बिंदी वो भी बड़ी बिंदी ने करवाया तीसरा युद्ध और बिंदी ही बनी ढाल

खैर फिर मुझे यकायक एक उपाय सुझा अपनी धाराप्रवाह इंग्लिश से करने लगी  उसे धाराशायी। वो घबराई, उठी अपना बैग उठा कर कॉफी लेने चली गयी।

पर वो भी कम नहीं थी प्रश्नों के गोले छोड़ गयी।

जिस पर मेरी रिसर्च आज भी चालू है

रिसर्च का विषय “बिंदी”, उसके साइज़ और उसे कब और क्यों लगाएँ और क्यों न लगाएँ?

और इसके लिए आजकल एक लैब असिस्टेंट की तलाश है।

-अनिता कपूर


No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular